क्राइम सीन से हनीमून तक: पुलिस अधिकारियों की फिल्मी स्टाइल ठगी, कश्मीर तक घूमे

दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर ने साइबर फ्रॉड के कई मामलों को सुलझाने में मदद की, लेकिन जब बरामद रकम को पीड़ितों को लौटाने का समय आया, तो उसने एक शातिर योजना रची।

उसने 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम चोरी कर ली और अपनी सब-इंस्पेक्टर प्रेमिका के साथ फरार हो गया।इस चोरी की रकम से दोनों ने गोवा, मनाली और कश्मीर जैसे टूरिस्ट स्थलों पर छुट्टियां मनाईं। ये दोनों पुलिसकर्मी पहले से शादीशुदा थे और नकली पहचान बनाकर नई जिंदगी शुरू करना चाहते थे — लेकिन उनकी यह योजना दिल्ली पुलिस ने नाकाम कर दी।

SI अंकुर मलिक, जो उत्तर-पूर्व जिले के साइबर थाने में तैनात था, ने अदालत से फर्जी शिकायतकर्ताओं के नाम पर आदेश प्राप्त कर जब्त रकम को छुड़वाया और फिर उसे अपने जान-पहचान वालों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया।

पैसे ट्रांसफर करने के बाद, 2021 बैच के अंकुर मलिक ने 7 दिन की मेडिकल छुट्टी ली — और फिर कभी ड्यूटी पर नहीं लौटा। इसी दौरान नेहा पुनिया, जो उसी बैच की SI थीं और GTB एन्क्लेव थाने में तैनात थीं, वह भी अचानक लापता हो गईं। दोनों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

जांच के दौरान खुलासा हुआ कि अंकुर मलिक ने साइबर फ्रॉड रिकवरी की रकम में से करोड़ों रुपये हड़प लिए।पुलिस के अनुसार, दोनों अधिकारी 2021 की ट्रेनिंग के दौरान दोस्त बने थे और यहीं से इस फ्रॉड की योजना भी बनाई गई थी।

जांच टीम ने तकनीकी निगरानी और ग्राउंड-लेवल खुफिया जानकारी के ज़रिए दोनों लापता SI को ट्रैक किया और चार महीने की खोजबीन के बाद इंदौर से गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से 1 करोड़ रुपये से अधिक की सोने की ज्वेलरी, 12 लाख रुपये नकद, 11 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, 3 एटीएम कार्ड और अन्य सामान बरामद किया है।

पुलिस का कहना है कि धोखाधड़ी की रकम से उन्होंने सोना खरीदा ताकि पैसों का हिसाब छुपाया जा सके।इसके अलावा, जिन लोगों के खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए थे, उनमें से मोहम्मद इलियास, आफ़ी उर्फ मोनू और शादाब को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि अंकुर मलिक जानता था कि जब्त की गई रकम का कोई दावा नहीं करेगा, इसलिए उसने फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए अदालत से पैसे छुड़वाए और फिर फरार हो गया।

पुलिस ने बताया, “इस पैसे से वह गोवा, मनाली और कश्मीर जैसे पर्यटन स्थलों पर भी गया।”

बाद में, इंदौर पहुंच कर उसने नकद पैसे के बदले सोना खरीदा ताकि ट्रैक करना मुश्किल हो सके। उनकी योजना थी कि वे फर्जी पहचान पत्र बनवाकर मध्यप्रदेश के पहाड़ी इलाकों में एक नई जिंदगी शुरू करें। अब पुलिस यह पता लगाने के लिए पूछताछ कर रही है कि इस धोखाधड़ी में और कौन-कौन शामिल था।

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