“जुलाई 2025 में जापान में सुनामी!” — एक मंगा आर्टिस्ट की रहस्यमयी भविष्यवाणी ने फिर मचाया सोशल मीडिया पर तूफान

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में आए 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप और उसके बाद उठे सुनामी अलर्ट के बीच इंटरनेट पर एक पुरानी भविष्यवाणी ने फिर से हलचल मचा दी है।

ये भविष्यवाणी किसी वैज्ञानिक की नहीं, बल्कि जापान की एक मंगा आर्टिस्ट रियो तात्सुकी की थी, जिनकी किताब “The Future I Saw” अब चर्चा का केंद्र बन गई है।

जापानी मंगा क्या है?

कौन हैं ‘जापानी बाबा वांगा’?

1999 में रियो तात्सुकी ने अपनी मंगा में दावा किया था कि उन्होंने सपनों के ज़रिए भविष्य में आने वाली आपदाओं को देखा। उन्होंने 5 जुलाई 2025 को जापान में एक विनाशकारी भूकंप और सुनामी की चेतावनी अपनी किताब में दी थी।

इस एक भविष्यवाणी ने उन्हें ‘जापानी बाबा वांगा’ बना दिया — बुल्गारिया की प्रसिद्ध भविष्यवक्ता वांगा देवी की तरह।

भविष्यवाणी का सच कितना करीब?

हालांकि 5 जुलाई 2025 को जापान में कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा नहीं हुई, लेकिन 30 जुलाई 2025 को रूस के पास कामचटका में आए विशाल भूकंप और जापान के उत्तरी हिस्सों में सुनामी की चेतावनियों ने इस भविष्यवाणी को एक नया संदर्भ दे दिया।

सोशल मीडिया पर कई लोग कह रहे हैं: “तारीख भले 5 जुलाई नहीं थी, लेकिन महीना और आपदा की प्रकृति बिलकुल वैसी ही थी।”

“रियो तात्सुकी ने 25 साल पहले जो लिखा, वो अब सच हो रहा है। वो सिर्फ कलाकार नहीं, कोई रहस्यमयी चेतावनी देने वाली थीं।”

सोशल मीडिया पर हड़कंपX (पूर्व ट्विटर) और Reddit जैसे प्लेटफॉर्म पर यूज़र्स ने लिखा:”Japanese Baba Vanga was right again!””It’s not the exact date, but still shocking how accurate she was.”

कुछ लोगों ने तो उनकी बाकी भविष्यवाणियों पर भी गौर करना शुरू कर दिया है, क्योंकि इस मंगा में कई आपदाओं का उल्लेख किया गया है।

वैज्ञानिकों की चेतावनी

हालांकि यह सब आकर्षक लगता है, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे संयोग मात्र बताया है। जापान मौसम एजेंसी और भूकंप विज्ञानियों ने कहा कि:

“मंगा या भविष्यवाणियों को वैज्ञानिक आधार नहीं माना जा सकता। प्राकृतिक आपदाओं की सही भविष्यवाणी केवल भूगर्भीय डेटा से ही संभव है, न कि कल्पनाओं से।”

क्या यह सिर्फ संयोग है?अब सवाल उठता है — क्या यह सब केवल एक अनोखा संयोग है? या फिर रियो तात्सुकी सच में कोई विशेष शक्ति रखती थीं?

जो भी हो, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि कला, कल्पना और विज्ञान के बीच की रेखा कभी-कभी कितनी धुंधली हो सकती है।

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