हाल ही में बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर आयोजित टाटा हैरियर EV क्वाड डे में एक ऐसी तकनीक पेश की गई जिसने EV चार्जिंग की दुनिया में क्रांति ला दी।लगभग 90 टाटा हैरियर EV को एक साथ चार्ज किया गया — वो भी पारंपरिक हैवी चार्जिंग सिस्टम से नहीं, बल्कि एक बेहद स्मार्ट और स्पेस-सेविंग सेटेलाइट डिस्पेंसर चार्जिंग सिस्टम से।
क्या है यह अगली पीढ़ी की तकनीक?
पेट्रोल पंप की तरह काम करने वाला यह सिस्टम पारंपरिक चार्जिंग सिस्टम से बिल्कुल अलग है।एक मुख्य पावर कैबिनेट को साइट पर लगाया जाता है।कई सेटेलाइट डिस्पेंसर (चार्जिंग गन) इससे अंडरग्राउंड केबल्स के जरिए जुड़े होते हैं।
ये डिस्पेंसर साइट पर अलग-अलग जगह लगाए जाते हैं — ठीक उसी तरह जैसे पेट्रोल पंप पर नोज़ल लगे होते हैं। एक पावर सोर्स — कई चार्जिंग पॉइंट्स।

कम जगह, ज्यादा सुविधा, और एक साथ कई वाहनों की चार्जिंग संभव।
कहाँ कहां होगा इसका इस्तेमाल?
शहरों के EV चार्जिंग हब्स, हाइवे फास्ट चार्जिंग स्टेशन फ्लीट डिपो और टेस्टिंग ट्रैकमॉल, ऑफिस और अपार्टमेंट जैसी कमर्शियल जगहों पर
सुरक्षित, स्मार्ट और लागत में किफायती
हाई-वोल्टेज उपकरण केवल एक जगह केंद्रित होने से उपयोगकर्ताओं को कम जोखिम होता है।इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस खर्च कम।जैसे-जैसे जरूरत बढ़े, इस सिस्टम को आसानी से अपग्रेड किया जा सकता है।उपयोग में बेहद आसान – बस गाड़ी लगाइए, प्लग लगाइए और चार्ज कीजिए।
बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में हुआ सफल परीक्षण
इस चार्जिंग सिस्टम की काबिलियत सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रही — 90 EVs को तेजी से और व्यवस्थित ढंग से चार्ज कर यह तकनीक पूरी तरह सफल साबित हुई।जहाँ पारंपरिक चार्जर अक्सर जगह और संख्या की समस्या से जूझते हैं, वहीं यह नया सिस्टम स्पेस-एफिशिएंसी और स्केलेबिलिटी का बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरा।
भारत के EV युग की रीढ़ बनेगा यह सिस्टम
सेटेलाइट डिस्पेंसर चार्जिंग सिस्टम सिर्फ तकनीकी प्रगति नहीं है, यह भारत की इलेक्ट्रिक क्रांति को नई दिशा देने वाला कदम है।फास्ट चार्जिंग, स्मार्ट प्लानिंग और सुरक्षित संचालन — यही बनेगा भारत के भविष्य के EV इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव।
यह सिर्फ भविष्य नहीं है – यह भविष्य अब हमारे सामने है।—