भारत में Real Money Gaming बैन: ऑफशोर बेटिंग साइट्स की बाढ़ और धोखाधड़ी का खतरा

India’s RMG Ban Sparks Offshore Betting Boom
सरकार द्वारा Real Money Gaming (RMG) पर बैन लगाने के बाद घरेलू कंपनियाँ ठप पड़ गई हैं, लेकिन विदेशी ऑपरेटर्स Parimatch, 1XBet, RajaBets और Odds92 जैसे प्लेटफॉर्म धड़ल्ले से सट्टेबाज़ों को आकर्षित कर रहे हैं। उनके भारी बोनस और फ्री स्पिन्स युवाओं को जोखिम की ओर धकेल रहे हैं।

🚨 घरेलू कंपनियों का बिज़नेस मॉडल खत्म

Dream11, MPL, Winzo, Zupee और Gameskraft जैसी भारतीय कंपनियों ने नए बिल में RMG पर प्रतिबंध आते ही अपना कारोबार समेट लिया। लेकिन उनके पीछे छोड़े गए खालीपन को ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स ने तेजी से भर दिया है।

💰 200% से 700% तक बोनस ऑफर

Parimatch और 1XBet जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स 200% से 700% तक बोनस दे रहे हैं। साथ में 500 तक फ्री स्पिन्स की पेशकश भी है। मतलब ₹100 जमा करने पर यूज़र्स को ₹200 से ₹700 तक डिजिटल क्रेडिट मिल रहा है। यह ऑफर पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा है।

⚠️ “राक्षस को आज़ाद कर दिया सरकार ने”

एक इंडस्ट्री विशेषज्ञ ने कहा — “सरकार ने संगठित इंडस्ट्री पर बैन लगाकर ऑफशोर प्लेटफ़ॉर्म्स को नए अवसर दिए हैं। अब ये बेक़ाबू हो चुके हैं और तकनीकी खामियों का भरपूर फायदा उठा रहे हैं।”

😱 सामाजिक खतरे: लत, कर्ज और आत्महत्या

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि इन साइट्स के लालच का सामाजिक प्रभाव खतरनाक होगा। जुआ की लत, कर्ज़ में इज़ाफा, और आत्महत्याएं जैसी स्थितियां बढ़ सकती हैं। इनके एल्गोरिदम खिलाड़ियों को हराने और लगातार हार की लत लगाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

🕵️ साइबर अपराध का नया खेल

सुरक्षा विशेषज्ञों ने बताया कि ऑफशोर ऑपरेटर्स अब नकली रिफंड लिंक, फिशिंग स्कैम, मिरर ऐप्स और ग्रे-वालेट के जरिए खिलाड़ियों को निशाना बना रहे हैं। Signal और Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ट्यूटोरियल्स चल रहे हैं, जो बताए जाते हैं कि कैसे इन साइट्स पर जुड़कर आसानी से पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है।

📜 सरकार का बचाव

सरकार का तर्क है कि यह बैन समाज और युवाओं की सुरक्षा के लिए लगाया गया ताकि जुए और उसकी लत को रोका जा सके। Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025 ने स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ eSports और casual social games पर ही खेलना कानूनी होगा।

🔒 रोकना क्यों मुश्किल?

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) अब तक 1300 से अधिक URLs और ऐप्स को ब्लॉक कर चुका है।
  • ब्लॉक करने के बावजूद ऑपरेटर्स हर बार Mirror Sites और नए डोमेन्स के साथ लौट आते हैं। फिर चाहे आप 13 लाख URL ही क्यों ना ब्लॉक कर दें,ये हर बार नए रूप में वापस लौट आते हैं।
  • पैमेंट्स अक्सर Crypto, फ़र्ज़ी UPI और वाउचर्स के जरिए घुमाए जाते हैं; जिसे कंट्रोल कर पाना लगभग नामुमकिन है।

🎭 असली मकसद: खिलाड़ी हमेशा हारे

विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स का असली उद्देश्य खिलाड़ियों को लुभाना और फंसाना है। Withdrawal में छिपी शर्तें, Arbitrary Account Freeze और Rigged Games (ऑनलाइन गेम्स में धोखाधड़ी) के चलते खिलाड़ी जीतकर भी पैसे नहीं निकाल पाते।

ये ऐप्स चाहे जितना मर्ज़ी बोनस दें, आपको खेलने के लिए कुछ पैसे तो लगाने होंगे, और अगर आप जीत भी जाते हैं तो जीती हुई राशि वॉलेट से निकाल नहीं सकते, बस उसे देख कर दिल को बहला सकते हैं।


The Dialogue के फाउंडर डायरेक्टर काज़िम रिज़वी के अनुसार: “इन प्लेटफ़ॉर्म्स की सबसे बड़ी ख़तरे की जड़ यही है कि इन पर बिल्कुल भी जवाबदेही नहीं है। एक तरफ जहाँ लाइसेंस प्राप्त ऑपरेटर्स पर निगरानी और नियम लागू होते हैं, वहीं इन अवैध साइट्स पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं। न तो शिकायत दर्ज कराने की कोई व्यवस्था है और न ही भारतीय खिलाड़ियों (यूजर्स) को कानूनी सुरक्षा मिल पाती है। इन कंपनियों का असली खेल यूज़र्स को बहकाकर उनके बैंक विवरण और निजी पहचान जैसी संवेदनशील जानकारी हड़पने का है— जो न सिर्फ आर्थिक बर्बादी का, बल्कि फ्रॉड और पहचान चोरी का भी बड़ा खतरा है।”

भारत का आरएमजी (RMG) बैन मानो दोधारी तलवार साबित हो रहा है— एक ओर इसने देशी कंपनियों की सांसें रोक दीं, तो दूसरी ओर अवैध ऑफशोर बेटिंग वेबसाइट्स के लिए सुनहरे द्वार खोल दिए। जो खेल कभी सरकार की निगरानी और नियंत्रण में था, अब उस पर किसी का बस नहीं रहा। यह बेकाबू लहर धीरे-धीरे राक्षसी रूप लेती जा रही है। परिणाम? लोग मुसीबत के ऐसे दलदल में फंसते जा रहे हैं जहाँ से निकलना बेहद कठिन है— जुए की अंधी लत, संगठित धोखाधड़ी, और साइबर अपराध की भयावह आँधी देश को अपनी गिरफ्त में ले सकती है।

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