सरोगेसी: प्रकृति पर मानव की विजय या नैतिकता की परीक्षा?

विज्ञान की दुनिया में अगर कोई तकनीक उम्मीद, विवाद और चमत्कार का संगम है, तो वह है सरोगेसी (कृत्रिम मातृत्व)।

यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक महिला (सरोगेट माँ) किसी अन्य व्यक्ति या दंपत्ति के लिए सहमति के आधार पर गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है।

जन्म के बाद, बच्चा आदेशदाता (commissioning couple/person) को सौंप दिया जाता है।

जहां पहले परिवार का मतलब जैविक संबंधों से था, वहीं तकनीक ने पारंपरिक पारिवारिक ढांचे को एक नया आयाम दे दिया है।

सरोगेसी के प्रकार: समझिए विस्तार से

सरोगेसी कई प्रकार की होती है, जो जैविक संबंध और वित्तीय लेन-देन के आधार पर विभाजित की जाती है:

1. पारंपरिक सरोगेसी (Genetic/Partial Surrogacy)

इसमें सरोगेट मां का स्वयं का अंडाणु उपयोग होता है, जिसे इच्छित पिता या दानकर्ता के शुक्राणु से कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) द्वारा निषेचित किया जाता है। इस स्थिति में सरोगेट मां बच्चे की जैविक मां होती है।

2. गेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational/Full Surrogacy)

आजकल सबसे ज्यादा अपनाया जाने वाला तरीका यही है। इसमें IVF (In-Vitro Fertilization) द्वारा इच्छित माता-पिता (या डोनर) के अंडाणु और शुक्राणु से भ्रूण बनाकर सरोगेट के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। सरोगेट मां का बच्चे से कोई जैविक संबंध नहीं होता।

कॉमर्शियल बनाम परोपकारी सरोगेसी

कॉमर्शियल सरोगेसी: सरोगेट मां को चिकित्सकीय खर्च से अधिक आर्थिक पारिश्रमिक दिया जाता है।

परोपकारी (Altruistic) सरोगेसी: सरोगेट को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता, केवल चिकित्सा व्यय और मजदूरी में हुई हानि की भरपाई की जाती है। यह अक्सर करीबी रिश्तेदार द्वारा भावनात्मक आधार पर की जाती है।

कौन करवा सकता है सरोगेसी?

सरोगेसी उन लोगों के लिए आशा की किरण है, जो जैविक कारणों या स्वास्थ्य समस्याओं के कारण स्वयं गर्भ धारण नहीं कर सकते। इनमें शामिल हैं:

महिलाएं जिनका गर्भाशय नहीं है (जन्म से, चोट या सर्जरी के कारण)

लगातार गर्भपात या IVF की असफलता का सामना कर चुकी महिलाएं

महिलाएं जिनके लिए गर्भावस्था जानलेवा खतरा बन सकती है

समलैंगिक दंपत्ति जो जैविक बच्चा चाहते हैं

एकल पुरुष जो जैविक पिता बनना चाहते हैं

इनके लिए सरोगेसी प्राकृतिक असमर्थता के बावजूद मातृत्व-पितृत्व का अवसर प्रदान करती है।

भारत में सरोगेसी कानून: अब सिर्फ परोपकारी सरोगेसी

कभी भारत, खासकर विदेशियों के लिए, सरोगेसी का सस्ता और आसान गंतव्य था। लेकिन अब यह तस्वीर बदल चुकी है, Surrogacy (Regulation) Act, 2021 के लागू होने के बाद।

कानून की मुख्य बातें:

कॉमर्शियल सरोगेसी अब पूरी तरह प्रतिबंधित है, अब केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति है।

विदेशी नागरिक, एकल पुरुष और समलैंगिक दंपत्ति अब भारत में सरोगेसी नहीं करवा सकते।

केवल वे भारतीय विवाहित जोड़े, जिन्हें चिकित्सकीय आवश्यकता हो, सरोगेसी करवा सकते हैं।

सरोगेट मां को निकट संबंधी, विवाहित और कम से कम एक संतान वाली होना जरूरी है।

इसका उद्देश्य है शोषण को रोकना और सरोगेसी को मानवीय एवं नैतिक ढंग से नियंत्रित करना।

निष्कर्ष: विज्ञान,भावना और नैतिकता का संगम

सरोगेसी एक ओर जहां विज्ञान की अद्भुत देन है, वहीं यह संवेदनशील नैतिक और कानूनी सवाल भी उठाती है। भारत में इस परिदृश्य को अब कानूनी रूप से नियंत्रित और नैतिक रूप से परिभाषित किया जा रहा है।

आज सरोगेसी न सिर्फ जीवन की आशा है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है — सरोगेट मां की गरिमा और आदेशदाता की भावना दोनों का सम्मान करते हुए।

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