मुंबई: लोकेश कनगाराज के निर्देशन में बनी राजनीकांत की बहुप्रतीक्षित फिल्म कूली सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है और पहले दिन से ही माहौल त्योहार जैसा है। थलाइवा के फैंस ने रात से ही टिकट घर पर डेरा डाल दिया, और सुबह-सुबह के शो हाउसफुल हो गए।
फिल्म की कहानी सोने की तस्करी की पृष्ठभूमि पर आधारित है। इसमें लीड रोल्स में राजनीकांत के साथ नागार्जुन, सोबिन शाहीर, श्रुति हासन, सत्यराज और आमिर खान हैं। स्टारकास्ट मजबूत है, लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट फिल्म को ऊंचाई तक नहीं पहुंचा पाती।
अभिनय व खास पल
सोबिन शाहीर, जो मूल रूप से फहाद फासिल के लिए लिखा गया किरदार निभा रहे हैं, एक प्रभावी और संवेदनशील परफॉर्मेंस देते हैं। नागार्जुन एंटी-हीरो के रूप में एक नया अवतार लेकर आए हैं, हालांकि उनका खलनायक वाला इम्पैक्ट पूरी तरह उतना मजबूत नहीं बैठता जितनी उम्मीद थी।
सत्यराज सीमित स्क्रीन टाइम में भी प्रभाव छोड़ते हैं। वहीं राजनीकांत की युवा दिनों वाली झलक दिखाने के लिए इस्तेमाल हुआ डी-एजिंग इफेक्ट शानदार लगता है। नागार्जुन और सोबिन के साथ उनके सीन और मेंशन फाइट सीक्वेंस खास तौर पर याद रहने वाले पल हैं। रचिता राम अपने छोटे लेकिन ट्विस्ट-भरे रोल में चमकती हैं।
कमजोरियां
कहानी बेहद पतली और पूर्वानुमानित है, जिसकी वजह से फिल्म का असर कम हो जाता है। श्रुति हासन का किरदार केवल इमोशनल मोमेंट्स तक सीमित है, और उनकी डबिंग भी प्रभावी नहीं लगती। उपेंद्र और आमिर खान के किरदारों का सही इस्तेमाल नहीं हुआ — खासकर आमिर का कैमियो जिसे पहले से भांपना आसान है। क्लाइमेक्स में कोई बड़ा सरप्राइज नहीं है।
तकनीकी पक्ष
लोकेश कनगाराज की स्क्रिप्ट फिल्म का सबसे कमजोर हिस्सा है, जो स्टार पावर पर ज़्यादा निर्भर करती है। अनिरुद्ध का म्यूजिक बैकग्राउंड में उतना असरदार नहीं हो पाता। सिनेमैटोग्राफी ठीक-ठाक है और एडिटिंग में और कसावट हो सकती थी।
फैसला
कूली एक औसत लेकिन फैंस के लिए एंटरटेनिंग मास एंटरटेनर है। राजनीकांत का करिश्मा, सोबिन की दमदार एक्टिंग और कुछ स्टाइलिश फाइट सीन्स फिल्म को देखने लायक बनाते हैं। लेकिन कमजोर कहानी और फ्लैट एक्जीक्यूशन के कारण यह फिल्म लोकेश कनगाराज की बेस्ट लिस्ट में नहीं आ पाती। अगर आप थलाइवा फैन हैं, तो यह फिल्म आपका दिल बहला देगी, वरना यह बस one time watch फिल्म है।