जम्मू के किश्तवाड़ में मचैल माता यात्रा मार्ग पर बादल फटने से 60 से अधिक की मौत

किश्तवाड़ में मचैल माता यात्रा मार्ग पर बादल फटने से 60 से अधिक की मौत

दुर्घटना ने यात्रा को बनाया मातम में बदल दिया

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में गुरुवार दोपहर हुए एक भीषण हादसे ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। चासोटी गांव में मचैल माता यात्रा मार्ग पर अचानक आए फ्लैश फ्लड में कम से कम 60 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। यह जानकारी राज्य के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को दी।

अधिकतर मृतक श्रद्धालु उस समय मचैल माता मंदिर के लिए पैदल यात्रा कर रहे थे, जो समुद्र तल से 9,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह हादसा दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच तब हुआ, जब सैकड़ों यात्री सालाना यात्रा में भाग लेने के लिए चासोटी पहुंचे थे।

राहत कार्य जारी, स्थिति गंभीर

अब तक 160 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है, जिनमें से 38 की हालत गंभीर है। राहत-बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन भारी बारिश और मलबा कार्य में बाधा डाल रहा है। CISF के एक अधिकारी का शव बरामद किया गया है जबकि तीन अन्य लापता हैं। ये सभी यात्रा के दौरान सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात थे।

एक लंगर (समुदाय रसोई) जो श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया था, बादल फटने से आई बाढ़ की चपेट में आकर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।

नेताओं की संवेदनाएं और निर्देश

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने घटना की जानकारी मिलते ही किश्तवाड़ के उपायुक्त से बात की और तुरंत राहत टीमों को रवाना करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “नुक़सान का आकलन और ज़रूरी मेडिकल इंतज़ाम किए जा रहे हैं, सभी संभव सहायता प्रदान की जाएगी।”

मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत कर स्थिति की पूरी जानकारी दी और कहा कि “दुर्गम इलाक़े से सटीक जानकारी आने में समय लग रहा है, लेकिन हम हर संभव संसाधन जुटा रहे हैं।”

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि “शोक संतप्त परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं, घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूँ। मैंने सिविल, पुलिस, सेना, NDRF और SDRF के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि बचाव कार्य ज़ोर-शोर से जारी रखें।”

पहाड़ों में बरसात का कहर

यह घटना ऐसे समय हुई है जब देश में मानसून अपने चरम पर है। उत्तराखंड समेत देश के पहाड़ी इलाकों में बादल फटना, बाढ़ और भूस्खलन ने भारी जान-माल का नुकसान किया है। हाल ही में उत्तरकाशी और चमोली ज़िले में भी ऐसी ही आपदाएं देखने को मिली थीं।

श्रद्धालुओं के लिए मचैल माता की यह यात्रा जो विश्वास और भक्ति की प्रतीक थी, इस वर्ष एक असहनीय त्रासदी में बदल गई।

Leave a Comment