“पद गया तो बंगला भी छोड़ो”: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधायक को ₹21 लाख जुर्माने के साथ लगाई फटकार

सरकारी बंगलों के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मंगलवार को बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह की याचिका खारिज कर दी। सिंह ने पटना के टेलर रोड स्थित सरकारी बंगले में दो साल तक अवैध रूप से रहने पर लगाए गए ₹21 लाख के पेनल रेंट को चुनौती दी थी।

धक्का विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रहे सिंह ने मार्च 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अप्रैल 2014 से मई 2016 तक बंगले पर कब्जा बनाए रखा। बाद में वे राज्य विधायिका अनुसंधान एवं प्रशिक्षण ब्यूरो में नामित हुए और 2009 की एक सरकारी अधिसूचना का हवाला देकर बंगला रखने का दावा किया।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील को नकारते हुए स्पष्ट कहा —“कोई भी व्यक्ति अनिश्चितकाल तक सरकारी आवास पर कब्जा नहीं कर सकता।”मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने कहा कि विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें निर्धारित समय के भीतर बंगला खाली कर देना चाहिए था।

सिंह के वकील अनिल मिश्रा ने दलील दी कि ₹21 लाख का किराया “अनुचित” है और न्यायालय से इस पर पुनर्विचार की मांग की। लेकिन कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया, जिससे मजबूर होकर सिंह को याचिका वापस लेनी पड़ी।

इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि 2009 की अधिसूचना में कहीं यह नहीं लिखा है कि पूर्व विधायक को उन्हीं आवासों में रहने की अनुमति है जो वर्तमान विधायकों के लिए आवंटित होते हैं। वह अधिसूचना केवल सामान्य लाभों की बात करती है, न कि विशेष बंगलों की।

सुप्रीम कोर्ट ने ‘लोक प्रहरी’ और ‘एस. डी. बांदी’ मामलों के अपने ऐतिहासिक निर्णयों का हवाला देते हुए दोहराया कि कोई भी जनप्रतिनिधि अपनी हैसियत या प्रभाव का दुरुपयोग कर सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा नहीं कर सकता। सभी सरकारों को ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए।संदेश साफ है — पद गया तो विशेषाधिकार भी जाना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आपकी क्या राय है, कमेंट कर के बताएं।

Leave a Comment