Axis म्यूचुअल फंड के पूर्व चीफ़ ट्रेडर और फंड मैनेजर वीरेश जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक 200 करोड़ रुपये के फ्रंट-रनिंग स्कैम में गिरफ्तार कर लिया है।
यह गिरफ्तारी 3 अगस्त को हुई, और एक विशेष अदालत ने उन्हें 8 अगस्त तक ED की हिरासत में भेज दिया है। मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के अंतर्गत दर्ज किया गया है।
मामला क्या है?
यह घोटाला एक गैरकानूनी और अनैतिक प्रैक्टिस ‘फ्रंट-रनिंग’ से जुड़ा है, जिसमें कोई ट्रे़डर पहले से यह जानकर कि कोई बड़ा ऑर्डर आने वाला है, अपने लिए पहले ही ट्रेड कर लेता है। इससे उसे भारी मुनाफा होता है, लेकिन इससे बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों का भरोसा कमजोर होता है।
फ्रंट-रनिंग का खतरा – स्कैम अलर्ट
ED के अनुसार, जोशी ने Axis म्यूचुअल फंड के बड़े ट्रेड्स की गुप्त जानकारी लीक कर के खुद और अन्य ब्रोकरों को फायदा पहुंचाया।
देशभर में छापेमारी
1 अगस्त से ED ने दिल्ली, मुंबई, गुरुग्राम, लुधियाना, अहमदाबाद, भावनगर, भुज और कोलकाता में छापे मारे।
जांच में सामने आया कि पैसा शेल कंपनियों, म्युल अकाउंट्स और परिवार के नाम पर खोले गए बैंक खातों के माध्यम से स्थानांतरित किया गया था।
अब तक ₹17.4 करोड़ की संपत्ति—शेयर, म्यूचुअल फंड यूनिट्स और बैंक बैलेंस—जब्त की गई है।
म्यूल अकाउंट का साइबर स्कैम- स्कैम अलर्ट।
घोटाले का तरीका
ED के मुताबिक, वीरेश जोशी और उनके सहयोगियों ने ब्रोकरों से मिले म्यूल अकाउंट्स के जरिये Axis म्यूचुअल फंड के बड़े सौदों से पहले खुद के ट्रेड डाले।
इन अवैध पैसों को शेल कंपनियों और विदेशी टर्मिनलों (जैसे दुबई) से गुजार कर सफेद करने की कोशिश की गई।
यह घोटाला 2018 से 2021 के बीच हुआ, जब जोशी फंड मैनेजर थे और Axis फंड का AUM ₹2 लाख करोड़ से अधिक था।
घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
यह मामला दिसंबर 2024 में मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR पर आधारित है। इससे पहले, 2022 में IT विभाग जोशी से जुड़े लेन-देन की जांच कर चुका था।
Axis म्यूचुअल फंड ने भी 2022 में जोशी को सस्पेंड कर आंतरिक जांच शुरू की थी।
क्या जोशी अकेले थे?
ED सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में कई ब्रोकर और व्यापारी शामिल थे जो अंदरूनी जानकारी के आधार पर मुनाफा कमा रहे थे।
यह संकेत करता है कि सिक्योरिटी मार्केट में एक गहरा और संगठित नेटवर्क काम कर रहा था।
यह घोटाला न केवल नियमों और बाजार की नैतिकता को तोड़ता है, बल्कि यह दिखाता है कि भारतीय वित्तीय बाजार में निगरानी और पारदर्शिता की सख्त जरूरत है — विशेष रूप से म्यूचुअल फंड जैसे बड़े निवेश संस्थानों में।